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लेखनी प्रतियोगिता -19-Dec-2022

                      🌹🌹 पंछी  🌹🌹
                🐦🐦🐦🐦🐦🐦🐦🐦
मैं उन्मुक्त गगन का वासी हूं।
पहाड़ देखू नदी देखू, नाले देखू।
संगठन में उड़ने का संदेश देता हूं।
स्वावलंबन मैंने जन्म से सीखा हैं।
पूरी मेहनत से अपना घोंसला बनाता हूं।
बच्चों कि किलकारी गूंजाता हूं।
बच्चो कि ची ची सुन कर  हर्षाता हूं।
बच्चों में मेहनत के गुण बचपन से डालता हूं।
समूह में उड़ संगठित होने कि शिक्षा देता हूं।
मैं उन्मुक्त गगन का पंछी हूं।
जाड़े, गर्मी बारिश में सम भाव से रहता हूं।
सभी को जीवन में समभाव का संदेश देता हूं।
जीवन को मस्ती में  उड़ कर जीने का संदेश देता हूं।
राग द्वेष को समाप्त करने का भाव देता हूं।
मैं उन्मुक्त गगन का पंछी हूं।
नभ तक उड़ने का संदेश देता हूं।।

✍️विजय पोखरणा "यस"
अजमेर 




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3 Comments

Gunjan Kamal

20-Dec-2022 09:43 AM

बहुत सुंदर

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Punam verma

20-Dec-2022 08:48 AM

Nice

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Abhinav ji

20-Dec-2022 08:01 AM

Very nice👍👍👍

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